मौत के मुंह से वापसी! ट्रेन रोकी और बन गया लाइफ पार्टनर... डिप्रेशन से जूझ रही महिला और ड्राइवर की लव स्टोरी

नई दिल्ली: साल 2019 की वो एक गर्मी भरी दोपहर थी, जब हमेशा की तरह वह अपनी नाइट शिफ्ट के लिए तैयार हो रही थी। लेकिन, उस दिन सबकुछ ठीक नहीं था। उसके अंदर कुछ चल रहा था और कुछ ही देर में वह रेलवे ट्रैक पर पहुंच गई। उसने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसल

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नई दिल्ली: साल 2019 की वो एक गर्मी भरी दोपहर थी, जब हमेशा की तरह वह अपनी नाइट शिफ्ट के लिए तैयार हो रही थी। लेकिन, उस दिन सबकुछ ठीक नहीं था। उसके अंदर कुछ चल रहा था और कुछ ही देर में वह रेलवे ट्रैक पर पहुंच गई। उसने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला कर लिया था। रेल की पटरियों पर उसे इंतजार था कि ट्रेन आए और सबकुछ एक झटके में खत्म हो जाए। लेकिन, कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। उसकी नाउम्मीद हो चुकी जिंदगी में एक ट्रेन ड्राइवर उम्मीद बनकर आया और उसे बचा लिया।
ये कहानी है 33 वर्षीय शारलेट ले नाम की उस महिला की, जिन्होंने अपनी जान बचाने वाले उस ट्रेन ड्राइवर के साथ बाद में शादी की और अब तीन बच्चों की मां हैं। उस दिन रेल की पटरियों पर शारलेट को ना केवल एक नई जिंदगी मिली, बल्कि एक ऐसा जीवन साथी भी मिला, जिसने उन्हें जीने का मतलब सिखा दिया। शारलेट को एहसास हो गया कि जिस समय कोई इंसान तनाव में हो, डिप्रेशन में हो, उस वक्त किसी का उम्मीद भरी बातें करना कितना ज्यादा जरूरी है।

शारलेट बताती हैं कि वह अपनी किशोरावस्था से ही मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रही थीं। हर वक्त उनके दिल-दिमाग में नेगेटिव बातें चलती रहती थीं। पांच साल पहले की उस घटना को याद करते हुए शारलेट ने बताया कि उन्हें याद है कि उन्होंने एक ट्रेन को उन पटरियों पर आते हुए देखा था, जहां वह वेस्ट यॉर्कशायर रेलवे स्टेशन से थोड़ा आगे अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए खड़ी थीं।

आधे घंटे तक ट्रेन रोक शारलेट को समझाया

ट्रेन रुकी और उन्होंने एक आदमी को नीचे उतरते हुए और घबराई हुई हालत में उनकी तरफ आते हुए देखा। शारलेट को लगा कि शायद वह आदमी उन्हें डांटने के लिए आ रहा है। लेकिन, ऐसा नहीं था। वो आदमी उनके पास आकर रुका और कहा, 'हेलो, मेरा नाम डेव है... क्या आप किसी बात से परेशान होकर यहां खड़ी हैं?'

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शारलेट को उम्मीद नहीं थी कि कोई अजनबी शख्स उनसे इस तरह उनकी परेशानी पूछेगा। उन्होंने कहा, 'हां मैं थोड़ी सी परेशान हूं।' इसपर उस ट्रेन ड्राइवर ने शारलेट से कहा कि ठीक है, वो तब तक उनके साथ यहीं बैठकर बातें करेगा, जब तक कि वो इस परेशानी से निकल नहीं जातीं। इसके बाद ड्राइवर ने करीब आधे घंटे तक वहीं खड़े होकर शारलेट से बातें की।

जान बचाने वाले ड्राइवर की तलाश

ड्राइवर ने शारलेट से कहा कि जब वो ठीक महसूस करेंगी तो वह उन्हें अगले स्टेशन पर छोड़ देगा। दोनों ने बातें की, हालांकि अभी भी शारलेट परेशान थी, लेकिन ट्रेन में चढ़ने के लिए तैयार हो गई। कुछ देर बाद स्किप्टन रेलवे स्टेशन आया और ड्राइवर ने पुलिस को सारी बातें बताते हुए शारलेट को उनकी देखरेख में छोड़ दिया। पुलिस और स्टेशन पर मौजूद डॉक्टरों ने शारलेट को समझाया और वह अपने घर लौट आईं।

अगले दिन शारलेट उस आदमी को खोजने के लिए बेताब थी, जिसने उनकी जान बचाई। उन्होंने अपने फेसबुक पेज और लोकल सोशल मीडिया ग्रुप पर एक अपील जारी की, कि अगर कोई रेलवे में काम करने वाले उस शख्स के बारे में उन्हें बता सके, तो वह उसकी शुक्रगुजार रहेंगी। शारलेट बताती हैं कि वो केवल उस शख्स को धन्यवाद कहना चाहती थीं, जिसने उन्हें समय दिया और इतना अच्छा व्यवहार किया।

और शुरू हो गया एक खूबसूरत रिश्ता

शारलेट की कोशिश रंग लाई और एक दोस्त से उन्हें उस ट्रेन ड्राइवर डेव का नंबर मिल गया। उन्होंने तुरंत डेव को मेसेज किया। इधर डेव ने जब शारलेट का मेसेज देखा तो उन्हें भी काफी राहत महसूस हुई। डेव बताते हैं कि उन्हें पहले कभी किसी से इस तरह संकट में बात कर उसे परेशानी से निकालने का मौका नहीं मिला था। वह भी जानना चाहते थे कि शारलेट ठीक हैं या नहीं और मेसेज आया तो उन्हें एक राहत मिली।

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ऐसा नहीं था कि डेव ने अपनी तरफ से कोशिश नहीं की। उन्होंने भी पुलिस से संपर्क किया था, लेकिन वहां से जवाब मिलने से पहले ही शारलेट का मेसेज आ गया। मेसेज के जवाब में डेव ने लिखा कि उन्हें जब भी बात करने की जरूरत हो, वह तैयार हैं। इसके बाद दोनों के बीच हर दिन मेसेज पर बातें होने लगीं। करीब दो महीने बाद दोनों कॉफी डेट पर मिले और इनके बीच एक रिश्ता शुरू हो गया।

मैंने नहीं, उसने मेरी जान बचाई...

साल 2022 में शारलेट जब डेव से 22 हफ्ते की गर्भवती थीं, तो दोनों ने शादी कर ली। हालांकि, इससे पहले उनकी कहानी में एक और बड़ा मोड़ आया था। स्वर्णिम भारत न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 2020 में, डेव को एक दिन तेज पीठ दर्द हुआ और जब वह डॉक्टर के पास गए तो पता चला कि उन्हें टेस्टिकुलर कैंसर है। डेव बताते हैं कि वो इस दर्द को नजरअंदाज करना चाहते थे, लेकिन शारलेट के बार-बार कहने पर वह डॉक्टर के पास गए।

डेव अक्सर यही कहते कि उनकी उम्र हो रही है और उस वजह से ये दर्द होता है, लेकिन शारलेट बार-बार उन्हें डॉक्टर के पास जाने के लिए कहती रही। इसके बाद डेव का इलाज चला और वह पूरी तरह ठीक हो गए। डेव बताते हैं, 'शारलेट शायद कहे कि मैंने उसकी जान बचाई, जिसके बारे में मैं वास्तव में नहीं जानता, लेकिन उसने मेरी जान जरूर बचाई है।'

हर मुश्किल हालात के आगे शानदार दिन

शारलेट और डेव का कहना है कि वो दोनों अपनी ये कहानी इसीलिए पूरी दुनिया के सामने रखना चाहते हैं, ताकि लोग समझ सकें कि हर मुश्किल हालात के आगे एक शानदार दिन इंतजार कर रहा होता है। अब तीन बच्चों की मां बन चुकीं शारलेट कहती हैं कि जीवन बेहतर होता है, बस आपको उसे देखने के लिए वहां पहुंचने की जरूरत है।

शारलेट का कहना है कि जीवन में संघर्ष कर रहे लोगों के लिए किसी से अपनी बात कहना और मदद मांगना अक्सर बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि वो पहले ही नाउम्मीद हो चुके होते हैं। ऐसे में उनके आसपास के लोगों को कदम बढ़ाने चाहिएं। वह मानती हैं कि किसी से एक से ज्यादा बार पूछना कि क्या वे ठीक हैं, उन्हें खुलकर अपने दिन की बात कहने में मदद कर सकता है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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